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+ | आज़ाद भारत ने | ||
+ | नारा दिया था | ||
+ | ‘समान अधिकार’ | ||
+ | सब सुखी हों | ||
+ | ‘समान अवसर’ | ||
+ | सब को मिले | ||
+ | प्रगति के पथ पै | ||
+ | सब ही चलें | ||
+ | अनिवार्य सुविधा | ||
+ | जीने-खाने की | ||
+ | देखा एक सपना | ||
+ | कर्णधारों ने | ||
+ | कोई न रहे दुःखी | ||
+ | अभाव ग्रस्त | ||
+ | जीवनानन्द: सभी | ||
+ | सह-भागी हों! | ||
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+ | आज़ाद हुए बीते | ||
+ | साठ बरस | ||
+ | अब देखो दो दृश्यः | ||
+ | ‘खिलौना’ बच्चे | ||
+ | कार में स्कूल जाते | ||
+ | सजे-सँवरे | ||
+ | चीथड़े लिपटे हैं | ||
+ | रिरिया रहा | ||
+ | अभागा कोई बच्चा | ||
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+ | बर्गर, पिज्जा | ||
+ | फेंकते खेल रहे | ||
+ | धनिक-बच्चे | ||
+ | रो-रो कर माँगता | ||
+ | रोटी-टुकड़ा | ||
+ | निरुपाय बालक | ||
+ | ए.सी. घरों में | ||
+ | ‘कुश्तम्कुश्ता’ खेलते | ||
+ | रईसज़ादे | ||
+ | कहीं फ़ुटपाथ पे | ||
+ | काँपता बच्चा | ||
+ | ओलों और वर्षा में | ||
+ | |||
+ | कम्प्यूटर पे | ||
+ | कार रेस खेलते | ||
+ | धन -कुबेर | ||
+ | कुछ की सुबह है | ||
+ | कचरा-ढेर | ||
+ | ख़ाली बोरा व डण्डी | ||
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+ | |||
+ | राम की माया | ||
+ | राम तक पहुँची | ||
+ | राम है भूखा | ||
+ | कैसा गुल खिलाया | ||
+ | समाजवाद आया! | ||
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15:52, 21 मई 2012 का अवतरण
{KKGlobal}}
‘समाजवाद’
आज़ाद भारत ने
नारा दिया था
‘समान अधिकार’
सब सुखी हों
‘समान अवसर’
सब को मिले
प्रगति के पथ पै
सब ही चलें
अनिवार्य सुविधा
जीने-खाने की
देखा एक सपना
कर्णधारों ने
कोई न रहे दुःखी
अभाव ग्रस्त
जीवनानन्द: सभी
सह-भागी हों!
आज़ाद हुए बीते
साठ बरस
अब देखो दो दृश्यः
‘खिलौना’ बच्चे
कार में स्कूल जाते
सजे-सँवरे
चीथड़े लिपटे हैं
रिरिया रहा
अभागा कोई बच्चा
बर्गर, पिज्जा
फेंकते खेल रहे
धनिक-बच्चे
रो-रो कर माँगता
रोटी-टुकड़ा
निरुपाय बालक
ए.सी. घरों में
‘कुश्तम्कुश्ता’ खेलते
रईसज़ादे
कहीं फ़ुटपाथ पे
काँपता बच्चा
ओलों और वर्षा में
कम्प्यूटर पे
कार रेस खेलते
धन -कुबेर
कुछ की सुबह है
कचरा-ढेर
ख़ाली बोरा व डण्डी
राम की माया
राम तक पहुँची
राम है भूखा
कैसा गुल खिलाया
समाजवाद आया!
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