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आहत युगबोध के जीवंत ये नियम
यूं ही बदनाम हुए हम !
 
मन की अनुगूंज ने वैधव्य वेष धार लिया
त्रासदी के नाम हुए हम
यूं ही बदनाम हुए हम !!
 
 
अलसाई कामनाएं चढ़ने लगीं सीढ़ियाँ
 
टूटे अनुबंध, जिन्हें ढो रही थी पीढ़ियाँ
 
वैभव की लालसा ने
 ललचाया मन -पांखी 
संज्ञा से आज सर्वनाम हुए हम
 
यूं ही बदनाम हुए हम !!