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13:37, 24 मई 2012 के समय का अवतरण
मैंने कभी शोर नहीं चाहा।
हमेशा चुप रहा मैं
फिर भी लगातार चीखा है
एक जानवर
मेरे भीतर
और न सुन पाया तुम्हारी कोई पुकार ।
1992