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"शोर / अजेय" के अवतरणों में अंतर

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('<poem>मैंने कभी शोर नहीं चाहा। हमेशा चुप रहा मैं ...' के साथ नया पन्ना बनाया)
 
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13:37, 24 मई 2012 के समय का अवतरण

मैंने कभी शोर नहीं चाहा।
हमेशा चुप रहा मैं
फिर भी लगातार चीखा है
एक जानवर
मेरे भीतर
और न सुन पाया तुम्हारी कोई पुकार ।

1992