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"हर तरफ़ उनके तहलके हैं / पुरुषोत्तम प्रतीक" के अवतरणों में अंतर

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09:36, 30 मई 2012 के समय का अवतरण

हर तरफ़ उनके तहलके हैं
फ़ायदे ये भी पहल के हैं

कौन ज़िन्दा है यहाँ अब तो
मौत के घर ये दहलके हैं

बाढ़ में तो बस्तियाँ डूबीं
और चर्चे जलमहल के हैं

ज़िन्दगानी तक पहुँच पाना
काम क्या इतने सहल के हैं

ढूँढ़ अफ़साने कई होंगे
शेर ये भी तो ग़ज़ल के हैं