भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
"सावधान / कविता गौड़" के अवतरणों में अंतर
Kavita Kosh से
('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=कविता गौड़ |संग्रह= }} {{KKCatKavita}} <poem> साव...' के साथ नया पन्ना बनाया) |
|||
पंक्ति 22: | पंक्ति 22: | ||
सावधान ओ जंगलवासी | सावधान ओ जंगलवासी | ||
इनके झांसे में न आओे | इनके झांसे में न आओे | ||
− | |||
− | |||
</poem> | </poem> |
16:57, 10 जून 2012 के समय का अवतरण
सावधान ओ जंगलवासी
बना रहे हैं तुम्हें जो साथी
बहला-फुसला तुम्हें रहे हैं
सब्ज-बाग वो दिखा रहे हैं
जिनका खुद ईमान नहीं है
ईमान-धरम तुम्हें सिखा रहे हैं
डाल मुसीबत में वो तुमको
अपना धंधा चला रहे है
सांठ-गांठ है पहुंचे हुओं से
तुमको मोहरा बना रहे है
समझो अब तो समझ भी जाओ
इनके झांसे में न आओ
तुम स्वतंत्र हो स्वतंत्र रहोगे
अपने पर से जाल हटाओ
सावधान ओ जंगलवासी
इनके झांसे में न आओे