भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
"हमारा प्रेम / अरविन्द श्रीवास्तव" के अवतरणों में अंतर
Kavita Kosh से
					
										
					
					|  (नया पृष्ठ: {{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=अरविन्द श्रीवास्तव  |संग्रह= }} {{KKCatKavita}} <Poem> इतिहास …) | अनिल जनविजय  (चर्चा | योगदान)  | ||
| पंक्ति 2: | पंक्ति 2: | ||
| {{KKRachna | {{KKRachna | ||
| |रचनाकार=अरविन्द श्रीवास्तव   | |रचनाकार=अरविन्द श्रीवास्तव   | ||
| − | |संग्रह= | + | |संग्रह=राजधानी में एक उज़बेक लड़की / अरविन्द श्रीवास्तव | 
| }} | }} | ||
| {{KKCatKavita}} | {{KKCatKavita}} | ||
| पंक्ति 9: | पंक्ति 9: | ||
| कविता की | कविता की | ||
| − | करता हूँ चौका  | + | करता हूँ चौका-बर्तन | 
| झाड़ू-बहारू | झाड़ू-बहारू | ||
| रोपता हूँ फूल-पत्तियाँ | रोपता हूँ फूल-पत्तियाँ | ||
| पंक्ति 18: | पंक्ति 18: | ||
| सपने सारे के सारे | सपने सारे के सारे | ||
| − | करता हूँ इतना  | + | करता हूँ इतना ज़्यादा प्रेम | 
| कि अक्सर सहमी,   | कि अक्सर सहमी,   | ||
| सशंकित आँखों से | सशंकित आँखों से | ||
| − | देखती है कविता मुझे! | + | देखती है कविता मुझे ! | 
| </poem> | </poem> | ||
23:51, 14 जून 2012 के समय का अवतरण
इतिहास से पढ़ाई की और करता हूँ चाकरी
कविता की
करता हूँ चौका-बर्तन
झाड़ू-बहारू
रोपता हूँ फूल-पत्तियाँ
लगाता हूँ उद्यान
सौंपता हूँ उसे दिल-दिमाग
शौर्य-पराक्रम
सपने सारे के सारे
करता हूँ इतना ज़्यादा प्रेम
कि अक्सर सहमी, 
सशंकित आँखों से
देखती है कविता मुझे !
 
	
	

