भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

"क्या तुमने बसंत को आँचल से बाँध रखा है? / पवन कुमार मिश्र" के अवतरणों में अंतर

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज
छो (''''अधखिले है गुलमोहर''' '''और कोयल,''' '''मौन प्रतीक्षारत है...' के साथ नया पन्ना बनाया)
 
(कोई अंतर नहीं)

12:31, 15 जून 2012 के समय का अवतरण

अधखिले है गुलमोहर

और कोयल,

मौन प्रतीक्षारत है

फूटे नहीं

बौर आम के,

नए पत्तो के अंगारे

अभी भी

ओस से गीले है,

सांझ ने उड़ेल दिया

सारा सिन्दूर

ढाक के फूलो में

पर,

रक्तिम आभा ओझल है

ओ सखी,

क्या तुमने बसंत को

आँचल से बाँध रखा है?