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"भोरहि सहचरि कातर दिठि/ सूरदास" के अवतरणों में अंतर

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भोरहि सहचरि कातर दिठि हेरि छल छल लोचन पानि ।
 
भोरहि सहचरि कातर दिठि हेरि छल छल लोचन पानि ।
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अनुखन राधा राधा रटइत आधा आधा बानि ।।
 
अनुखन राधा राधा रटइत आधा आधा बानि ।।
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राधा सयँ जब पनितहि माधव, माधव सयँ जब राधा ।
 
राधा सयँ जब पनितहि माधव, माधव सयँ जब राधा ।
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दारुन प्रेम तबहि नहिं टूटत बाढ़त बिरह क बाधा ।।
 
दारुन प्रेम तबहि नहिं टूटत बाढ़त बिरह क बाधा ।।
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दुहुँ दिसि दारु दहन जइसे दगधइ,आकुल कोट-परान ।
 
दुहुँ दिसि दारु दहन जइसे दगधइ,आकुल कोट-परान ।
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ऐसन बल्लभ हेरि सुधामुखि कबि विद्यापति भान ।।
 
ऐसन बल्लभ हेरि सुधामुखि कबि विद्यापति भान ।।

22:56, 2 अक्टूबर 2007 का अवतरण

कवि: सूरदास

भोरहि सहचरि कातर दिठि हेरि छल छल लोचन पानि ।

अनुखन राधा राधा रटइत आधा आधा बानि ।।

राधा सयँ जब पनितहि माधव, माधव सयँ जब राधा ।

दारुन प्रेम तबहि नहिं टूटत बाढ़त बिरह क बाधा ।।

दुहुँ दिसि दारु दहन जइसे दगधइ,आकुल कोट-परान ।

ऐसन बल्लभ हेरि सुधामुखि कबि विद्यापति भान ।।