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"विनयावली / तुलसीदास / पृष्ठ 2" के अवतरणों में अंतर

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* [[विनयावली / तुलसीदास / पद 11 से 20 तक / पृष्ठ 1]]
 
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* [[विनयावली / तुलसीदास / पद 11 से 20 तक / पृष्ठ 2]]
जँाचिये गिरिजापति कासी।
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* [[विनयावली / तुलसीदास / पद 11 से 20 तक / पृष्ठ 3]]
जासु भवन अनिमादिक दासी।।
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* [[विनयावली / तुलसीदास / पद 11 से 20 तक / पृष्ठ 4]]
औढर-दानि द्रवत पुनि थोरें।
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* [[विनयावली / तुलसीदास / पद 11 से 20 तक / पृष्ठ 5]]
सकत न देखि दीन कर जोरें।।
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सुख-संपति, मति-सुगति, सुहाई।
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सकल सुलभ संकर-सेवकाई।।
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गये सरन आरतिकै लीन्हें।
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निरखि निहाल निमिषमहँ कीन्हें।।
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तुलसिदास -जातक जस गावैं।
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बिमल भगति रघुपतिकी पावै।
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क्कस न दीनपर द्रवहु उमाबर।
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दारून बिपति हरन करूनाकर।।
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बेद-पुरान कहत उदार हर।
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हमरि बेर कस भयेहु कृपिनतर।।
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कवनि भगति कीन्ही गुननिधि द्विज।
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होइ प्रसन्न दिन्हेहु सिव पद निज।।
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जो गति अगम महामुनि गावहिं।
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तव पुर कीट पतंगहु पावहिं।।
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देहु काम-रिपु!राम-चरन-रति।
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तुलसिदास प्रभु! हरहु भेद-मति।।
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07:25, 17 जून 2012 के समय का अवतरण