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+ | जामिया से पहले तीन साल मास मीडिया और फिर दो साल मास कम्यूनिकेशन में एम ए करने के बाद अब आगे की राह तलाश रहा हूं। उत्तराखंड के गंगोलीहाट से प्राथमिक और पिथौरागढ़ से माध्यमिक पढ़ाई करने के बाद दिल्ली आना हुआ। साईबर जगत से पहली बार साबका दिल्ली आने के बाद ही पड़ा और अब आलम ये है कि इससे लगभग प्यार सा है। हिन्दी में जब ब्लागिंग की शुरुआत हो रही थी तो अपनी दीदी कंचन के साथ अपनी दिशा नाम से पहला ब्लाग बनाया। उस समय हम दोनो ने साईबर कैफे में बैठ बैठ के बेसिक टैम्प्लेट और कंटेंट डिसाईड किया। अपना कम्प्यूटर तब नहीं था। कम्प्यूटर आया तो अपनी दिशा दीदी की दिशा से थोड़ा बदली और नई सोच का जन्म हुआ। ये मेरा पहला निजी ब्लाग था। जामिया ने फिल्मों की तरफ एक खास रुझान पैदा किया। वहां हम एस आर थ्री से जूझे, बोलैक्स को समझे और फिल्म कैमरों और अन्य तकनीकी उपकरणों को सीखते हुए फिल्में देखना भी सीखा। और कुछ फिल्में जो अच्छी लगी उनपर अपनी सोच को ब्लाग पर उड़ेलना भी शुरु हुआ और तब अपना दूसरा ब्लाग पिक्चर हाल शुरु किया। [www.kavitakosh.org/umeshpant कविताएं] तो शुरु से लिखता रहा हूं। अब कहानी लिखना भी शुरु किया है। सोचा है कि कुछ चुनिंदा कविता और कहानियों को [http://umeshpant.blogspot.in/2011/05/blog-post_14.html मेरी कहानी] नाम के अपने तीसरे ब्लाग के जरिये आपसे साझा किया जायेगा। आप पढ़ें तो अच्छा लगेगा। प्रतिक्रिया दें तो बेहतर। | ||
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08:56, 21 जून 2012 का अवतरण
उमेश पंत का परिचय उन्ही के शब्दों में
जन्म
20 जुलाई 1988
जन्म स्थान
गंगोलीहाट, पिथौरागढ़, उत्तराखंड, भारत
मास कम्यूनिकेशन
जामिया से पहले तीन साल मास मीडिया और फिर दो साल मास कम्यूनिकेशन में एम ए करने के बाद अब आगे की राह तलाश रहा हूं। उत्तराखंड के गंगोलीहाट से प्राथमिक और पिथौरागढ़ से माध्यमिक पढ़ाई करने के बाद दिल्ली आना हुआ। साईबर जगत से पहली बार साबका दिल्ली आने के बाद ही पड़ा और अब आलम ये है कि इससे लगभग प्यार सा है। हिन्दी में जब ब्लागिंग की शुरुआत हो रही थी तो अपनी दीदी कंचन के साथ अपनी दिशा नाम से पहला ब्लाग बनाया। उस समय हम दोनो ने साईबर कैफे में बैठ बैठ के बेसिक टैम्प्लेट और कंटेंट डिसाईड किया। अपना कम्प्यूटर तब नहीं था। कम्प्यूटर आया तो अपनी दिशा दीदी की दिशा से थोड़ा बदली और नई सोच का जन्म हुआ। ये मेरा पहला निजी ब्लाग था। जामिया ने फिल्मों की तरफ एक खास रुझान पैदा किया। वहां हम एस आर थ्री से जूझे, बोलैक्स को समझे और फिल्म कैमरों और अन्य तकनीकी उपकरणों को सीखते हुए फिल्में देखना भी सीखा। और कुछ फिल्में जो अच्छी लगी उनपर अपनी सोच को ब्लाग पर उड़ेलना भी शुरु हुआ और तब अपना दूसरा ब्लाग पिक्चर हाल शुरु किया। [www.kavitakosh.org/umeshpant कविताएं] तो शुरु से लिखता रहा हूं। अब कहानी लिखना भी शुरु किया है। सोचा है कि कुछ चुनिंदा कविता और कहानियों को मेरी कहानी नाम के अपने तीसरे ब्लाग के जरिये आपसे साझा किया जायेगा। आप पढ़ें तो अच्छा लगेगा। प्रतिक्रिया दें तो बेहतर।
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