भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

Changes

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज
}}
{{KKCatKavita}}
[[Category:लम्बी रचना]]
{{KKPageNavigation
|पीछे=कवितावली/ तुलसीदास / पृष्ठ 29
|आगे=अंगद जी का दूतत्व / तुलसीदास / पृष्ठ 2
|सारणी=कवितावलीअंगद जी का दूतत्व / तुलसीदास
}}
<poem>
'''( छंद संख्या (9) से (10) )''' (9)  ‘आयो! आयो! आयो सोई बानर बहोरि!’ भयो, सोरू चहुँ ओर लंका आएँ जुबराजकें।   एक काढैं़ सौंज, एक धौंज करैं, ‘कहा ह्वैहै, पोच भाई’, महासोचु सुभअसमाज कें।।  गाज्यो कपिराजु रघुनाथकी सपथ करि , मूँदे कान जातुधान मानो गाजें गाजकें।  सहमि सुखात बातजातकी सुरति करि, लवा ज्यों लुकात, तुलसी झपेटें बाजकें।9। (10) तुलसी बल रघुबीरजू कें बालिसुतु वाहि न गनत, बात कहत करेरी -सी।  ‘बकसीस ईसजू की खीस होत देखिअत, रिस काहें लागति, कहत हौं मै तेरी-सी।।  चढ़ि गढ़-मढ़ दृढ़, कोटकें कँगूरें, कोपि, नेकु धका देहैं ढेलनकी ढेरी-सी।।  सुनु दसमाथ! नाथ-साथके हमारे मपि हाथ लंका लाइहैं तौ रहेगी हथेरी-सी।10।  </poem>
Mover, Reupload, Uploader
7,916
edits