भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
"ज़ेनिया एक-5 / एयूजेनिओ मोंताले" के अवतरणों में अंतर
Kavita Kosh से
अनिल जनविजय (चर्चा | योगदान) ('{{KKGlobal}} {{KKAnooditRachna |रचनाकार=एयूजेनिओ मोंताले |संग्रह= }} {{KKCatKavit...' के साथ नया पन्ना बनाया) |
अनिल जनविजय (चर्चा | योगदान) |
||
(इसी सदस्य द्वारा किये गये बीच के 2 अवतरण नहीं दर्शाए गए) | |||
पंक्ति 6: | पंक्ति 6: | ||
{{KKCatKavita}} | {{KKCatKavita}} | ||
[[Category:इतालवी भाषा]] | [[Category:इतालवी भाषा]] | ||
− | यह | + | <poem> |
− | कि मैं तुम्हारा, बहती | + | यह कभी मेरे दिमाग़ में ही नहीं आया |
+ | कि मैं तुम्हारा, बहती आँखों वाला भरोसेमंद कुत्ता था | ||
या कि तुम मेरा । | या कि तुम मेरा । | ||
04:18, 22 जून 2012 के समय का अवतरण
|
यह कभी मेरे दिमाग़ में ही नहीं आया
कि मैं तुम्हारा, बहती आँखों वाला भरोसेमंद कुत्ता था
या कि तुम मेरा ।
औरों के लिए तुम एक कमज़ोर नज़र वाला
पिद्दी-सा कीड़ा थीं
भद्रलोक की बकवाद से चकित ।
वे बाबू क़िस्म के लोग थे ।
उन चतुर चालाक लोगों को
यह अहसास त्क नहीं हो पाया
कि वे तुम्हारे परिहास के पात्र थे,
कि तुम अँधेरे में भी उन्हें तोड़ ले सकती थीं ।
तुम्हारी अचूक छठी इंद्रिय,
तुम्हारे चमगादड़ी राडार के जरिए
बेनक़ाब होते वे लोग !
अँग्रेज़ी से अनुवाद : सुरेश सलिल