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21:16, 6 जुलाई 2012 का अवतरण


नीराजना


हे माँ शारदे!
तू मुझको तार दे
तेरी देहरी
आऊँ भाव-हार ले
वर बार-बार दे

माँ! तेरे द्वार
एक यही गुहार
तेरी बालिका
लिये शब्द-मालिका
तू उन्हें सँवार दे।

कई वर्ण के
खिले औ’ अधखिले
फूल जो मिले
जैसे-जैसे गूँथे हैं
माँ! उन्हें स्वीकार ले!

आँखों के दीप
साँसों का नेह लिये
प्राणों की बाती
बनी है नीराजना
अर्चना साकार, ले!