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अब्दुल बिस्मिल्लाह (जन्म- 5 जुलाई 1949 ) हिन्दी साहित्य जगत के प्रसिद्ध उपन्यासकार हैं। वे पिछले लगभग तीन दशकों से साहित्य में सृजनरत हैं। ग्रामीण जीवन व मुस्लिम समाज के संघर्ष, संवेदनाएं, यातनाएं और अन्तर्द्वंद उनकी रचनाओं के मुख्य केन्द्र बिन्दु हैं। उन्होंने उपन्यास के साथ ही कहानि, कविता, नाटक जैसी सृजनात्मक विधाओं के अलावा आलोचना भी लिखी है। सम्प्रति वह जामिया मिलिया विश्वविद्यालय के हिन्दी विभाग में प्रवक्ता तथा विभागाध्यक्ष हैं। | अब्दुल बिस्मिल्लाह (जन्म- 5 जुलाई 1949 ) हिन्दी साहित्य जगत के प्रसिद्ध उपन्यासकार हैं। वे पिछले लगभग तीन दशकों से साहित्य में सृजनरत हैं। ग्रामीण जीवन व मुस्लिम समाज के संघर्ष, संवेदनाएं, यातनाएं और अन्तर्द्वंद उनकी रचनाओं के मुख्य केन्द्र बिन्दु हैं। उन्होंने उपन्यास के साथ ही कहानि, कविता, नाटक जैसी सृजनात्मक विधाओं के अलावा आलोचना भी लिखी है। सम्प्रति वह जामिया मिलिया विश्वविद्यालय के हिन्दी विभाग में प्रवक्ता तथा विभागाध्यक्ष हैं। |
10:53, 14 जुलाई 2012 के समय का अवतरण
अब्दुल बिस्मिल्लाहअब्दुल बिस्मिल्लाह (जन्म- 5 जुलाई 1949 ) हिन्दी साहित्य जगत के प्रसिद्ध उपन्यासकार हैं। वे पिछले लगभग तीन दशकों से साहित्य में सृजनरत हैं। ग्रामीण जीवन व मुस्लिम समाज के संघर्ष, संवेदनाएं, यातनाएं और अन्तर्द्वंद उनकी रचनाओं के मुख्य केन्द्र बिन्दु हैं। उन्होंने उपन्यास के साथ ही कहानि, कविता, नाटक जैसी सृजनात्मक विधाओं के अलावा आलोचना भी लिखी है। सम्प्रति वह जामिया मिलिया विश्वविद्यालय के हिन्दी विभाग में प्रवक्ता तथा विभागाध्यक्ष हैं।
जीवन-वृत्त
उनका जन्म 5 जुलाई 1949 को जनपद इलाहाबाद के बलापुर गांव में हुआ था। उन्होंने इलाहाबाद विश्वविद्यालय से हिन्दी साहित्य में एमए तथा डी फिल की उपाधि अर्जित की। सम्प्रति वह जामिया मिलिया विश्वविद्यालय के हिन्दी विभाग में प्रवक्ता तथा विभागाध्यक्ष हैं। रचनाएँ कृतियाँ उपन्यास-झीनी- झीनी बीनी चदरिया, मुखडा क्या देखे, समर शेष है, अपवित्र आख्यान (सभी उपन्यास)। अतिथि देवो भव, रैन-बसेरा, रफ़-रफ़ मेल (सभी कहानी-संग्रह)
- उपन्यास- ‘झीनी झीनी बीनी चदरिया’, ‘मुखड़ा क्या देखें’ ‘समर शेष है’, ‘जहरबाद’, ‘दंतकथा’, ‘अपवित्र आख्यान’ व ‘रावी लिखता है’
- कहानी संग्रह (छह)- ‘अतिथि देवो भव’, ‘रफ रफ मेल’, ‘कितने कितने सवाल’, ‘रैन बसेरा’, ‘टूटा हुआ पंख’ और ‘जीनिया के फूल’
- कविता संग्रह (चार)-
- नाटक (एक)- ‘दो पैसे की जन्नत’
- आलोचना- ‘विमर्श के आयाम’, ‘अल्पविराम’
व
- ‘मध्यकालीन हिन्दी काव्य में सांस्कृतिक समन्वय’
पुरस्कार/सम्मान
- 1987 में सोवियत लैंड नेहरू पुरस्कार से सम्मानित
- मध्य प्रदेश साहित्य परिषद का अखिल भारतीय देव पुरस्कार
- उ0प्र0 हिन्दी संस्थान व हिन्दी अकादमी, दिल्ली के सम्मानों से भी समादृत
सोवियत लैण्ड नेहरू पुरस्कार, दिल्ली हिन्दी अकादमी और उत्तर प्रदेश हिन्दी संस्थान के पुरस्कारों और म.प्र. साहित्य परिषद के देव पुरस्कार से सम्मानित।