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चुक गया दिन / अज्ञेय

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|रचनाकार=अज्ञेय
|संग्रह=चिन्ता / अज्ञेय; सुनहरे शैवाल / अज्ञेय
}}
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सामने था आर्द्र तारा नील,
उमड़ आई असह तेरी याद !
हाय , यह प्रति दिन पराजय दिन छिपे के बाद !  '''चम्पानेर (रेल में), 23 सितम्बर, 1939'''
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