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"क्या दुःख है, समंदर को बता भी नहीं सकता / वसीम बरेलवी" के अवतरणों में अंतर
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तू छोड़ रहा है, तो ख़ता इसमें तेरी क्या | तू छोड़ रहा है, तो ख़ता इसमें तेरी क्या | ||
− | हर | + | हर शख़्स मेरा साथ, निभा भी नहीं सकता |
प्यासे रहे जाते हैं जमाने के सवालात | प्यासे रहे जाते हैं जमाने के सवालात | ||
− | किसके लिए | + | किसके लिए ज़िन्दा हूँ, बता भी नहीं सकता |
− | घर | + | घर ढूँढ रहे हैं मेरा , रातों के पुजारी |
− | मैं हूँ कि | + | मैं हूँ कि चराग़ों को बुझा भी नहीं सकता |
वैसे तो एक आँसू ही बहा के मुझे ले जाए | वैसे तो एक आँसू ही बहा के मुझे ले जाए | ||
ऐसे कोई तूफ़ान हिला भी नहीं सकता. | ऐसे कोई तूफ़ान हिला भी नहीं सकता. | ||
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10:29, 5 अगस्त 2012 के समय का अवतरण
क्या दुःख है, समंदर को बता भी नहीं सकता
आँसू की तरह आँख तक आ भी नहीं सकता
तू छोड़ रहा है, तो ख़ता इसमें तेरी क्या
हर शख़्स मेरा साथ, निभा भी नहीं सकता
प्यासे रहे जाते हैं जमाने के सवालात
किसके लिए ज़िन्दा हूँ, बता भी नहीं सकता
घर ढूँढ रहे हैं मेरा , रातों के पुजारी
मैं हूँ कि चराग़ों को बुझा भी नहीं सकता
वैसे तो एक आँसू ही बहा के मुझे ले जाए
ऐसे कोई तूफ़ान हिला भी नहीं सकता.