भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
"प्रथम किरण / अज्ञेय" के अवतरणों में अंतर
Kavita Kosh से
अनिल जनविजय (चर्चा | योगदान) |
|||
(इसी सदस्य द्वारा किया गया बीच का एक अवतरण नहीं दर्शाया गया) | |||
पंक्ति 2: | पंक्ति 2: | ||
{{KKRachna | {{KKRachna | ||
|रचनाकार=अज्ञेय | |रचनाकार=अज्ञेय | ||
− | |संग्रह=सुनहरे शैवाल / अज्ञेय | + | |संग्रह=बावरा अहेरी / अज्ञेय; सुनहरे शैवाल / अज्ञेय |
}} | }} | ||
− | {{ | + | {{KKCatGeet}} |
<Poem> | <Poem> | ||
− | भोर की | + | भोर की प्रथम किरण फीकी। |
− | प्रथम किरण | + | अनजाने जागी हो याद किसी की- |
− | + | अपनी मीठी नीकी। | |
− | अनजाने | + | |
− | जागी हो | + | |
− | याद | + | |
− | + | ||
− | + | धीरे-धीरे उदित | |
− | + | रवि का लाल-लाल गोला | |
− | + | ||
− | धीरे-धीरे | + | |
− | उदित | + | |
− | रवि का | + | |
− | + | ||
− | + | ||
चौंक कहीं पर | चौंक कहीं पर | ||
− | छिपा | + | छिपा मुदित बनपाखी बोला |
− | मुदित | + | दिन है जय है यह बहुजन की। |
− | + | ||
− | + | ||
− | दिन है | + | |
− | + | ||
− | यह | + | |
− | प्रणति | + | प्रणति, लाल रवि, ओ जन-जीवन |
− | लाल रवि | + | लो यह मेरी |
− | ओ जन-जीवन | + | सकल भावना तन की, मन की- |
− | लो यह | + | वह बनपाखी जाने गरिमा |
− | मेरी | + | |
− | सकल | + | |
− | + | ||
− | + | ||
− | + | ||
− | वह | + | |
− | जाने गरिमा | + | |
महिमा | महिमा | ||
− | मेरे छोटे | + | मेरे छोटे चेतन छन की! |
− | चेतन | + | |
− | + | '''इलाहाबाद-दिल्ली (रेल में), 3 फरवरी, 1951''' | |
</poem> | </poem> |
16:13, 6 अगस्त 2012 के समय का अवतरण
भोर की प्रथम किरण फीकी।
अनजाने जागी हो याद किसी की-
अपनी मीठी नीकी।
धीरे-धीरे उदित
रवि का लाल-लाल गोला
चौंक कहीं पर
छिपा मुदित बनपाखी बोला
दिन है जय है यह बहुजन की।
प्रणति, लाल रवि, ओ जन-जीवन
लो यह मेरी
सकल भावना तन की, मन की-
वह बनपाखी जाने गरिमा
महिमा
मेरे छोटे चेतन छन की!
इलाहाबाद-दिल्ली (रेल में), 3 फरवरी, 1951