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"प्रथम किरण / अज्ञेय" के अवतरणों में अंतर

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<Poem>
 
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भोर की
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भोर की प्रथम किरण फीकी।
प्रथम किरण
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अनजाने जागी हो याद किसी की-
:फीकी :
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अपनी मीठी नीकी।
अनजाने
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जागी हो
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याद
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:किसी की--
+
  
अपनी
+
धीरे-धीरे उदित
मीठी
+
रवि का लाल-लाल गोला
:नीकी !
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धीरे-धीरे
+
उदित
+
रवि का
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ल्लाल-लाल
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: गोला
+
 
चौंक कहीं पर
 
चौंक कहीं पर
छिपा
+
छिपा मुदित बनपाखी बोला
मुदित
+
दिन है जय है यह बहुजन की।
बन-पाखी
+
:बोला
+
दिन है
+
जब है
+
यह बहु-जन की :
+
  
प्रणति
+
प्रणति, लाल रवि, ओ जन-जीवन
लाल रवि
+
लो यह मेरी
ओ जन-जीवन
+
सकल भावना तन की, मन की-
लो यह
+
वह बनपाखी जाने गरिमा
मेरी
+
सकल साधना
+
:तन की
+
:मन की--
+
 
+
वह बन-पाखी
+
जाने गरिमा
+
 
महिमा
 
महिमा
मेरे छोटे
+
मेरे छोटे चेतन छन की!
चेतन
+
 
:छन की !
+
'''इलाहाबाद-दिल्ली (रेल में), 3 फरवरी, 1951'''
 
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</poem>

16:13, 6 अगस्त 2012 के समय का अवतरण

भोर की प्रथम किरण फीकी।
अनजाने जागी हो याद किसी की-
अपनी मीठी नीकी।

धीरे-धीरे उदित
रवि का लाल-लाल गोला
चौंक कहीं पर
छिपा मुदित बनपाखी बोला
दिन है जय है यह बहुजन की।

प्रणति, लाल रवि, ओ जन-जीवन
लो यह मेरी
सकल भावना तन की, मन की-
वह बनपाखी जाने गरिमा
महिमा
मेरे छोटे चेतन छन की!

इलाहाबाद-दिल्ली (रेल में), 3 फरवरी, 1951