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"अपने हर लफ़्ज़ का ख़ुद आईना हो जाऊँगा / वसीम बरेलवी" के अवतरणों में अंतर
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उसको छोटा कह के मैं कैसे बड़ा हो जाऊँगा | उसको छोटा कह के मैं कैसे बड़ा हो जाऊँगा | ||
16:36, 7 अगस्त 2012 का अवतरण
अपने हर इक लफ़्ज़ का ख़ुद आईना हो जाऊँगा
उसको छोटा कह के मैं कैसे बड़ा हो जाऊँगा
तुम गिराने में लगे थे तुम ने सोचा भी नहीं
मैं गिरा तो मसअला बनकर खड़ा हो जाऊँगा
मुझ को चलने दो अकेला है अभी मेरा सफ़र
रास्ता रोका गया तो क़ाफ़िला हो जाऊँगा
सारी दुनिया की नज़र में है मेरी अह्द—ए—वफ़ा
इक तेरे कहने से क्या मैं बेवफ़ा हो जाऊँगा?