भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
"धूप / अज्ञेय" के अवतरणों में अंतर
Kavita Kosh से
छो |
|||
(2 सदस्यों द्वारा किये गये बीच के 2 अवतरण नहीं दर्शाए गए) | |||
पंक्ति 2: | पंक्ति 2: | ||
{{KKRachna | {{KKRachna | ||
|रचनाकार=अज्ञेय | |रचनाकार=अज्ञेय | ||
+ | |संग्रह=अरी ओ करुणा प्रभामय / अज्ञेय; सन्नाटे का छन्द / अज्ञेय | ||
}} | }} | ||
− | + | {{KKCatKavita}} | |
+ | <poem> | ||
सूप-सूप भर | सूप-सूप भर | ||
− | |||
धूप-कनक | धूप-कनक | ||
− | |||
यह सूने नभ में गयी बिखर: | यह सूने नभ में गयी बिखर: | ||
− | |||
चौंधाया | चौंधाया | ||
− | |||
बीन रहा है | बीन रहा है | ||
− | |||
उसे अकेला एक कुरर। | उसे अकेला एक कुरर। | ||
− | |||
− | |||
अल्मोड़ा | अल्मोड़ा | ||
− | |||
५ जून १९५८ | ५ जून १९५८ | ||
+ | </poem> |
11:35, 9 अगस्त 2012 के समय का अवतरण
सूप-सूप भर
धूप-कनक
यह सूने नभ में गयी बिखर:
चौंधाया
बीन रहा है
उसे अकेला एक कुरर।
अल्मोड़ा
५ जून १९५८