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"निमाड़: चैत / अज्ञेय" के अवतरणों में अंतर

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पेड़ अपनी-अपनी छाया को
 
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उन के पत्ते झराती जाती है।
 
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छाया को
 
छाया को
 
झरते पत्ते
 
झरते पत्ते

16:49, 9 अगस्त 2012 के समय का अवतरण

(1)
पेड़ अपनी-अपनी छाया को
आतप से
ओट देते
चुप-चाप खड़े हैं।

तपती हवा
उन के पत्ते झराती जाती है।

(2)
छाया को
झरते पत्ते
नहीं ढँकते,
पत्तों को ही
छाया छा लेती है।