भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

"नन्दा देवी-9 / अज्ञेय" के अवतरणों में अंतर

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज
(नया पृष्ठ: {{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=अज्ञेय |संग्रह= }} <Poem> : कितनी जल्दी तुम उझकीं झिझक...)
 
 
(2 सदस्यों द्वारा किये गये बीच के 2 अवतरण नहीं दर्शाए गए)
पंक्ति 2: पंक्ति 2:
 
{{KKRachna
 
{{KKRachna
 
|रचनाकार=अज्ञेय
 
|रचनाकार=अज्ञेय
|संग्रह=
+
|संग्रह=पहले मैं सन्नाटा बुनता हूँ / अज्ञेय
 
}}
 
}}
 
+
{{KKCatKavita}}
 
<Poem>
 
<Poem>
 
: कितनी जल्दी
 
: कितनी जल्दी
पंक्ति 10: पंक्ति 10:
 
झिझकीं
 
झिझकीं
 
ओट हो गईं, नन्दा !
 
ओट हो गईं, नन्दा !
उतने ही मेंबीन ले गईं
+
उतने ही में बीन ले गईं
 
धूप-कुन्दन की
 
धूप-कुन्दन की
 
अन्तिम कनिका
 
अन्तिम कनिका
पंक्ति 17: पंक्ति 17:
 
धुन्ध की झीनी यवनिका।
 
धुन्ध की झीनी यवनिका।
  
 +
'''बिनसर, नवम्बर, 1972'''
 
</poem>
 
</poem>

17:22, 9 अगस्त 2012 के समय का अवतरण

कितनी जल्दी
तुम उझकीं
झिझकीं
ओट हो गईं, नन्दा !
उतने ही में बीन ले गईं
धूप-कुन्दन की
अन्तिम कनिका
देवदारु के तनों के बीच
फिर तन गई
धुन्ध की झीनी यवनिका।

बिनसर, नवम्बर, 1972