भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

"पंडिज्जी / अज्ञेय" के अवतरणों में अंतर

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज
 
पंक्ति 2: पंक्ति 2:
 
{{KKRachna
 
{{KKRachna
 
|रचनाकार=अज्ञेय
 
|रचनाकार=अज्ञेय
 +
|संग्रह=नदी की बाँक पर छाया / अज्ञेय
 
}}
 
}}
 
{{KKCatKavita}}
 
{{KKCatKavita}}
पंक्ति 12: पंक्ति 13:
 
पंडिज्जी
 
पंडिज्जी
 
फ़कत आदमी हैं।
 
फ़कत आदमी हैं।
 +
 +
'''नयी दिल्ली, अप्रैल, 1980'''
 
</poem>
 
</poem>

15:22, 10 अगस्त 2012 के समय का अवतरण

अरे भैया, पंडिज्जी ने पोथी बन्द कर दी है।
पंडिज्जी ने चश्मा उतार लिया है
पंडिज्जी ने आँखें मूँद ली हैं
पंडिज्जी चुप-से हो गये हैं।
भैया, इस समय
पंडिज्जी
फ़कत आदमी हैं।

नयी दिल्ली, अप्रैल, 1980