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Kavita Kosh से
मोको कहां ढूढें तू बंदे मैं तो तेरे पास मे ।
ना मैं बकरी ना मैं भेडी ना मैं छुरी गंडास मे ।
मै तो रहौं सहर के बाहर मेरी पुरी मवास मे
कहै कबीर सुनो भाई साधो सब सांसो की सांस मे ॥