भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

"नयी रश्मियाँ आयें / गुलाब खंडेलवाल" के अवतरणों में अंतर

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज
('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=गुलाब खंडेलवाल |संग्रह=सब कुछ कृष...' के साथ नया पन्ना बनाया)
(कोई अंतर नहीं)

21:09, 29 अगस्त 2012 का अवतरण


नयी रश्मियाँ आयें
नयी भूमि हो, नया गगन, नव क्षितिज, नवीन दिशायें

नव कलियाँ अवगुंठन खोले
पक्षी नए स्वरों में बोलें
वन-वन नवल समीरण डोलें
 नव प्रसून लहरायें

नव नक्षत्रलोक से चलकर
उतरें नव मानव पृथ्वी पर
खुलें द्वार पर द्वार नवलतर
नित नव हो सीमायें

नयी रश्मियाँ आयें
नयी भूमि हो, नया गगन, नव क्षितिज, नवीन दिशायें