भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

"जिगर और दिल को बचाना भी है / मजाज़ लखनवी" के अवतरणों में अंतर

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज
('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=मजाज़ लखनवी |संग्रह= <poem> जिगर और दि...' के साथ नया पन्ना बनाया)
(कोई अंतर नहीं)

08:26, 22 सितम्बर 2012 का अवतरण

{{KKRachna |रचनाकार=मजाज़ लखनवी |संग्रह=

जिगर और दिल को बचाना भी है
नज़र आप ही से मिलाना भी है

महब्बत का हर भेद पाना भी है
मगर अपना दामन बचाना भी है

ये दुनिया ये उक़्बा कहाँ जाइये
कहीं अह्ले -दिल का ठिकाना भी है?

मुझे आज साहिल पे रोने भी दो
कि तूफ़ान में मुस्कुराना भी है

ज़माने से आगे तो बढ़िये ‘मजाज़’
ज़माने को आगे बढ़ाना भी है