भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
"न भूल सके इतने / शिवदीन राम जोशी" के अवतरणों में अंतर
Kavita Kosh से
('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=शिवदीन राम जोशी | }} {{KKCatKavitt}} <poem> मो मन म...' के साथ नया पन्ना बनाया) |
(कोई अंतर नहीं)
|
05:24, 7 नवम्बर 2012 के समय का अवतरण
मो मन माहीं बसे मन मोहन,और बसी मन राधिका रानी,
नन्द यशोमती कौन बिसारत, गुवालन की छबि नाहीं भुलानी |
बृज की बृजबाल वे गुजरियां, अहो! कृष्ण के संग करे मनमानी,
शिवदीन, न भूल सके इतने, यमुना जल अमृत निर्मल पानी |