"नज़्र मैं क्या करूँ नाज़िर मेरे / द्विजेन्द्र 'द्विज'" के अवतरणों में अंतर
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− | नज़्र<ref>भेंट< | + | नज़्र<ref>भेंट</ref> मैं क्या करूँ नाज़िर<ref>दर्शक</ref>मेरे |
− | ज़ख्म इतने नहीं नादिर<ref>अद्भुत | + | ज़ख्म इतने नहीं नादिर<ref>अद्भुत;अनूठा</ref> मेरे |
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− | जान-ओ-दिल अब भी हैं काफ़िर<ref>ईश्वर की दी हुई नेमतों पर कृतज्ञता प्रकट न करने वाला< | + | जान-ओ-दिल अब भी हैं काफ़िर<ref>ईश्वर की दी हुई नेमतों पर कृतज्ञता प्रकट न करने वाला</ref>मेरे |
− | चुप रहे गर्चे<ref>यद्यपि< | + | चुप रहे गर्चे<ref>यद्यपि</ref> मुक़र्रिर<ref>वक्ता</ref> मेरे |
− | बोल उठ्ठेंगे मक़ाबिर<ref>क़ब्रें: मक़बरे का बहुवचन< | + | बोल उठ्ठेंगे मक़ाबिर<ref>क़ब्रें: मक़बरे का बहुवचन</ref>मेरे |
तेरी नज़रों से भला क्या पर्दा | तेरी नज़रों से भला क्या पर्दा | ||
− | ज़ख़्म ग़ायब हैं बज़ाहिर<ref> प्रत्यक्षतय: < | + | ज़ख़्म ग़ायब हैं बज़ाहिर<ref> प्रत्यक्षतय: </ref>मेरे |
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अब सिला मैं वफ़ा का क्या ढूँढूँ | अब सिला मैं वफ़ा का क्या ढूँढूँ | ||
− | हैं मुआशिर<ref>मित्र< | + | हैं मुआशिर<ref>मित्र</ref> भी तो मुन्क़िर<ref>कृतघ्न</ref> मेरे |
मुझको इक रंग तो देता अपना | मुझको इक रंग तो देता अपना | ||
− | मेरे मौला ओ मुसव्विर<ref>चितेरा, चित्रकार< | + | मेरे मौला ओ मुसव्विर<ref>चितेरा, चित्रकार</ref> मेरे |
− | मैंने पाए जो तेरी फ़ुर्क़त<ref>विरह< | + | मैंने पाए जो तेरी फ़ुर्क़त<ref>विरह</ref> में |
− | दर्द मेरे वो हैं फ़ाख़िर<ref>बहुमूल्य वस्तुएँ< | + | दर्द मेरे वो हैं फ़ाख़िर<ref>बहुमूल्य वस्तुएँ</ref>मेरे |
मैंने जितने भी तराशे अब तक | मैंने जितने भी तराशे अब तक | ||
− | संग वो हो गए कासिर<ref>तोड़ने वाले; भंजक< | + | संग वो हो गए कासिर<ref>तोड़ने वाले; भंजक</ref> मेरे |
बन्द पिंजरे में सजाकर मुझको | बन्द पिंजरे में सजाकर मुझको | ||
− | मेरे क़ाइल <ref>लाजवाब,निरुत्तर, प्रशंसक< | + | मेरे क़ाइल <ref>लाजवाब,निरुत्तर, प्रशंसक</ref> हुए साहिर <ref>जादूगर</ref> मेरे |
इक तसव्वुर<ref>कल्पना<ref/> का है सूरज दिल में | इक तसव्वुर<ref>कल्पना<ref/> का है सूरज दिल में | ||
− | जिनसे रौशन हैं अनासिर<ref>पंचतत्व; पंचभूत;आग,पानी,हवा,मिट्टी और आकाश< | + | जिनसे रौशन हैं अनासिर<ref>पंचतत्व; पंचभूत;आग,पानी,हवा,मिट्टी और आकाश</ref> मेरे |
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− | मेरे अशआर<ref>शे’र का बहुवचन< | + | मेरे अशआर<ref>शे’र का बहुवचन</ref>सुनाते हैं मुझे |
अपने लफ़्ज़ों में मुआसिर<ref>समकालीन<ref/> दृश्य मेरे | अपने लफ़्ज़ों में मुआसिर<ref>समकालीन<ref/> दृश्य मेरे | ||
तुझको छू लें तो ग़नीमत जानूँ | तुझको छू लें तो ग़नीमत जानूँ | ||
− | शे’र हो जाएँ मआसिर<ref>सुकृतियाँ; स्मृति चिन्ह< | + | शे’र हो जाएँ मआसिर<ref>सुकृतियाँ; स्मृति चिन्ह</ref> मेरे |
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तुझको छू लें तो ग़नीमत जानूँ | तुझको छू लें तो ग़नीमत जानूँ | ||
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शे’र सारे ये कहे हैं `द्विज’ ने | शे’र सारे ये कहे हैं `द्विज’ ने | ||
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18:11, 28 नवम्बर 2012 का अवतरण
नज़्र<ref>भेंट</ref> मैं क्या करूँ नाज़िर<ref>दर्शक</ref>मेरे
ज़ख्म इतने नहीं नादिर<ref>अद्भुत;अनूठा</ref> मेरे
बेशक अल्फ़ाज़<ref>शब्द</ref> हैं फ़ाकिर<ref> फ़कीर का बहुवचन, सन्यासी, दरवेश,</ref> मेरे
जान-ओ-दिल अब भी हैं काफ़िर<ref>ईश्वर की दी हुई नेमतों पर कृतज्ञता प्रकट न करने वाला</ref>मेरे
चुप रहे गर्चे<ref>यद्यपि</ref> मुक़र्रिर<ref>वक्ता</ref> मेरे
बोल उठ्ठेंगे मक़ाबिर<ref>क़ब्रें: मक़बरे का बहुवचन</ref>मेरे
तेरी नज़रों से भला क्या पर्दा
ज़ख़्म ग़ायब हैं बज़ाहिर<ref> प्रत्यक्षतय: </ref>मेरे
वो न होता तो न होता कुछ भी
मस्जिदें तेरी न मंदिर मेरे
इन पे कोई नहीं आने वाला
अश्क मेरे हैं जज़ाइर मेरे<ref> द्वीप ; जज़ीरा का बहुवचन <ref/>
ख़ाक तो डाल ही देंगे मुझपर
काम कब आएँगे आख़िर मेरे
अब सिला मैं वफ़ा का क्या ढूँढूँ
हैं मुआशिर<ref>मित्र</ref> भी तो मुन्क़िर<ref>कृतघ्न</ref> मेरे
मुझको इक रंग तो देता अपना
मेरे मौला ओ मुसव्विर<ref>चितेरा, चित्रकार</ref> मेरे
मैंने पाए जो तेरी फ़ुर्क़त<ref>विरह</ref> में
दर्द मेरे वो हैं फ़ाख़िर<ref>बहुमूल्य वस्तुएँ</ref>मेरे
मैंने जितने भी तराशे अब तक
संग वो हो गए कासिर<ref>तोड़ने वाले; भंजक</ref> मेरे
बन्द पिंजरे में सजाकर मुझको
मेरे क़ाइल <ref>लाजवाब,निरुत्तर, प्रशंसक</ref> हुए साहिर <ref>जादूगर</ref> मेरे
इक तसव्वुर<ref>कल्पना<ref/> का है सूरज दिल में
जिनसे रौशन हैं अनासिर<ref>पंचतत्व; पंचभूत;आग,पानी,हवा,मिट्टी और आकाश</ref> मेरे
हादिसों में है तू ही इक हाफ़िज़<ref>रक्षक</ref>
और हवा में अभी ताइर<ref>पक्षी ;परिन्दे</ref>मेरे
ये सफ़ीना<ref>जहाज़;नौका</ref> तो मेरे अज़्म<ref>इरादा</ref>से है
गो हवाएँ हैं मुग़ाइर<ref>प्रतिकूल</ref> मेरे
एक मंज़र<ref>दृश्य</ref> वो तेरे जाने का
धो गया सारे मनाज़िर<ref> दृश्य का बहुवचन</ref> मेरे
मेरे अशआर<ref>शे’र का बहुवचन</ref>सुनाते हैं मुझे
अपने लफ़्ज़ों में मुआसिर<ref>समकालीन<ref/> दृश्य मेरे
तुझको छू लें तो ग़नीमत जानूँ
शे’र हो जाएँ मआसिर<ref>सुकृतियाँ; स्मृति चिन्ह</ref> मेरे
हूँ अनासिर<ref> पंचतत्व; पंचभूत;आग,पानी, हवा, मिट्टी और आकाश</ref> के हवाले जब तक
कैसे जज़्बात<ref>भावनाएँ<ref/> हों ताहिर<ref>पवित्र;शुद्ध<ref/>मेरे
मेरे अशआर<ref>शे’र का बहुवचन</ref> सुनाते हैं मुझे
अपने लफ़्ज़ों में मुआसिर<ref>समकालीन</ref> दृश्य मेरे
तुझको छू लें तो ग़नीमत जानूँ
शे’र हो जाएँ मआसिर<ref>सुकृतियाँ; स्मृति चिन्ह</ref> मेरे
हूँ अनासिर<ref>पंचतत्व; पंचभूत;आग,पानी,हवा, मिट्टी और आकाश</ref> के हवाले जब तक
कैसे जज़्बात<ref>भावनाएँ</ref>हों ताहिर<ref>पवित्र;शुद्ध</ref>मेरे
शे’र सारे ये कहे हैं `द्विज’ ने
तू तो ग़ायब रहा शाइर मेरे