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कर्म / शिवदीन राम जोशी

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|रचनाकार=शिवदीन राम जोशी
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को किसको दुःख देत है, कर्म देत झकझौर,
शिवदीन करम के बस सभी बचा हुआ यहाँ कौन |
राम गुण गायरे ||
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लिखते पढ़ते थक गए, कर्मन केरा हाल,
कर्मन के बस होत है, ऋषि, नृप, भक्त, कंगाल |
ऋषि, नृप, भक्त, कंगाल, कर्म का अदभुत् खेला,
ये संसार असार, जगत का देखो मेला |
मिले कोऊ साधु सुजन, तो बनि जाये बात,
शिवदीन भरम सब छांडी के, भजन करो दिन रात |
राम गुण गायरे ||
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