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"तारों से और बात में कमतर नहीं हूँ मैं / मयंक अवस्थी" के अवतरणों में अंतर
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तारों से और बात में कमतर नहीं हूँ मैं
जुगनू हूँ इसलिये कि फ़लकपर नहीं हूँ मैं
सदमों की बारिशें मुझे कुछ तो घुलायेंगी
पुतला हूँ ख़ाक का कोई पत्थर नहीं हूँ मैं
दरिया-ए-ग़म में बर्फ के तोदे की शक्ल में
मुद्दत से अपने क़द के बराबर नहीं हूँ मैं
उसका ख़याल उसकी ज़ुबाँ उसके तज़्किरे
उसके क़फ़स से आज भी बाहर नहीं हूँ मैं
मैं तिश्नगी के शहर पे टुकड़ा हूँ अब्र का
कोई गिला नहीं कि समन्दर नहीं हूँ मैं
टकरा के आइने से मुझे इल्म हो गया
किर्चों से आइने की , भी बढकर नहीं हूँ मैं
क्यूँ ज़हर ज़िन्दगी ने पिलाया मुझे “मयंक”
वो भी तो जानती थी कि ,शंकर नहीं हूं मैं