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"बंटवारा कर दो / महेश अनघ" के अवतरणों में अंतर
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तन मालिक का | तन मालिक का | ||
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धन सरकारी | धन सरकारी | ||
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सड़कें दे दो झंडों को | सड़कें दे दो झंडों को | ||
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पर्वत कूटनीति को अर्पित | पर्वत कूटनीति को अर्पित | ||
− | + | तीरथ दे दो पंडों को । | |
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हमको गौमाता के खुर | हमको गौमाता के खुर | ||
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सब छुट्टी के दिन साहब के | सब छुट्टी के दिन साहब के | ||
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सब उपास चपरासी के | सब उपास चपरासी के | ||
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उसमें पदक कुंअर जू के हैं | उसमें पदक कुंअर जू के हैं | ||
− | + | ख़ून पसीने घासी के | |
− | + | अजर-अमर श्रीमान उठा लें | |
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− | अजर अमर श्रीमान उठा लें | + | |
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हमको छोड़े क्षण भंगुर | हमको छोड़े क्षण भंगुर | ||
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− | चौड़े चौक उजाले में | + | |
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− | त्याग तपस्या इस पाले में | + | |
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गजभीम उस पाले में | गजभीम उस पाले में | ||
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दीदे फाड़-फाड़ सब देखें | दीदे फाड़-फाड़ सब देखें | ||
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हम देखेंगे टुकुर-टुकुर | हम देखेंगे टुकुर-टुकुर | ||
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23:49, 27 दिसम्बर 2012 के समय का अवतरण
बँटवारा कर दो ठाकुर ।
तन मालिक का
धन सरकारी
मेरे हिस्से परमेसुर ।
शहर धुएँ के नाम चढ़ाओ
सड़कें दे दो झंडों को
पर्वत कूटनीति को अर्पित
तीरथ दे दो पंडों को ।
खीर-खांड ख़ैराती खाते
हमको गौमाता के खुर
सब छुट्टी के दिन साहब के
सब उपास चपरासी के
उसमें पदक कुंअर जू के हैं
ख़ून पसीने घासी के
अजर-अमर श्रीमान उठा लें
हमको छोड़े क्षण भंगुर
पँच बुला कर करो फ़ैसला
चौड़े-चौक उजाले में
त्याग-तपस्या इस पाले में
गजभीम उस पाले में
दीदे फाड़-फाड़ सब देखें
हम देखेंगे टुकुर-टुकुर