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"फूल / गोरख पाण्डेय" के अवतरणों में अंतर

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|संग्रह=जागते रहो सोने वालो / गोरख पाण्डेय
 
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फूल हैं गोया मिट्टी के दिल हैं
 
फूल हैं गोया मिट्टी के दिल हैं
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ज़िन्दगी
 
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जो कभी मात खाए नहीं
 
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और ख़ुश्बू हैं
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जिसको कोई बाँध पाये नहीं
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ख़ूबसूरत हैं इतने
 
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कि बरबस ही जीने की इच्छा जगा दें
 
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कि दुनिया को और जीने लायक बनाने की
 
कि दुनिया को और जीने लायक बनाने की
इच्छा जगा दें.
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इच्छा जगा दें
  
 
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23:49, 28 दिसम्बर 2012 के समय का अवतरण

फूल हैं गोया मिट्टी के दिल हैं
धड़कते हुए
बादलों के ग़लीचों पे रंगीन बच्चे
मचलते हुए
प्यार के काँपते होंठ हैं
मौत पर खिलखिलाती हुई चम्पई

ज़िन्दगी
जो कभी मात खाए नहीं
और ख़ुशबू हैं
जिसको कोई बाँध पाए नहीं

ख़ूबसूरत हैं इतने
कि बरबस ही जीने की इच्छा जगा दें
कि दुनिया को और जीने लायक बनाने की
इच्छा जगा दें ।