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"इन्ही दर्दों की गलियों में / शिवदीन राम जोशी" के अवतरणों में अंतर

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इन्ही दर्दो की गलियों में  दर्द हम खाया करते हैं।
 
इन्ही दर्दो की गलियों में  दर्द हम खाया करते हैं।

18:17, 12 जनवरी 2013 के समय का अवतरण

इन्ही दर्दो की गलियों में दर्द हम खाया करते हैं।
बिचारे व्याकुल इस दिल को कभी समझाया करते हैं।
लिखा किस्मत में तेरे है तडफना जिन्दगी सारी,
तसल्ली देने के खातिर गीत यह गाया करते है।
कहना है नहीं बिल्कुल किसी से दर्द की बातें,
अरे दिल तू ही रख दिल में जो आंटे आया करते है।
हकीमों सूफी सन्तों को दिखाई नब्ज भी जाकर,
न जाना मर्ज कोई भी, यों ही दुख पाया करते है।
शिवदीन दिल के माजरे को, दिल ही में रखना,
इसी दिल के ही परदे में , कभी मुस्काया करते है।