भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
Changes
Kavita Kosh से
* [[साया बनकर साथ चलेंगे इसके भरोसे मत रहना / हस्तीमल 'हस्ती']]
* [[हर कोई कह रहा है दीवाना मुझे / हस्तीमल 'हस्ती']]
* [[ मंज़िल तक हरगिज़ न पहुँचता / हस्तीमल 'हस्ती']]* [[जितनी क़समें खाई हमने रौशनी के सामने / हस्तीमल 'हस्ती']]* [[सच के हक़ में खड़ा हुआ जाए / हस्तीमल 'हस्ती']]* [[बड़ी गर्दिश में तारे थे, तुम्हारे भी हमारे भी / हस्तीमल 'हस्ती']]