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|रचनाकार=रामकृष्ण दीक्षित “विश्व” 'विश्व'
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कुटकी की पेज१ बने माहुर के दोना
गोंडा गोंडी ब्याह करे लेना न देना
होए भादों में बोले परेना२ होए भादों में बोले परेना (विध्य लोक धुन )
छम छमाती सौ बल खाती धरती का आंचल लहराती
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