भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

"जीने का मजा उनके लिए है / रामकृष्ण दीक्षित 'विश्व'" के अवतरणों में अंतर

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज
('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=रामकृष्ण दीक्षित 'विश्व' }} {{KKCatKavita‎}} ...' के साथ नया पन्ना बनाया)
 
पंक्ति 4: पंक्ति 4:
 
}}
 
}}
 
{{KKCatKavita‎}}
 
{{KKCatKavita‎}}
 +
{{KKCatGhazal}}
 
<poem>
 
<poem>
 
जो मर्द है जीने का मजा उनके लिए है
 
जो मर्द है जीने का मजा उनके लिए है

14:21, 8 अप्रैल 2013 का अवतरण

जो मर्द है जीने का मजा उनके लिए है
मरने का हक़ भी मैंने सुना उनके लिए है(१)

जलते है जवानी में जो मेहनत की धूप में
यह मस्त चाँदनी की छटा उनके लिए है(२)

पीते है जो शराब ज़माने के दर्द की
सावन की गुनगुनाती घटा उनके लिए है(३)

पतझर में जो गाते है बहारो का तराना
कलियों की निगाहों का नशा उनके लिए है(४)

संघर्ष के घावो से तडपते जो दी रात
लहराते आंचलो की हवा उनके लिए है(५)

मंजिलो को जो पहनाते है कोशिश की चुनरिया
किस्मत के सितारों का पता उनके लिए है(६)

जो आदमी को धर्मं का पुतला नहीं कहते
यह गाड या ईश्वर या खुदा उनके लिए है(७)

जो जुल्म के घावो से खड़े जूझ रहे है
लंका को जलाने की कथा उनके लिए है(८)

होते है जो शहीद अपने वतन के लिए
इतिहास का हर जलता दिया उनके लिए है(९)