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"विघण हरण गणराज है / निमाड़ी" के अवतरणों में अंतर
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− | विघण हरण गणराज है, | + | विघण हरण गणराज है, |
शंकर सुत देवाँ | शंकर सुत देवाँ | ||
कोट विघन टल जाएगाँ, | कोट विघन टल जाएगाँ, | ||
हारे गणपति गुण गायाँ.. | हारे गणपति गुण गायाँ.. | ||
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− | (१) | + | (१) शीव की गादी सुनरियाँ, |
ब्रम्हा ने बणायाँ | ब्रम्हा ने बणायाँ | ||
हरि हिरदें में तुम लावियाँ, | हरि हिरदें में तुम लावियाँ, | ||
− | सरस्वति गुण गायाँ | + | सरस्वति गुण गायाँ... |
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(२) संकट मोचन घर दयाल है, | (२) संकट मोचन घर दयाल है, | ||
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नवंमी भक्ति हो प्रभु देत है | नवंमी भक्ति हो प्रभु देत है | ||
गुण शब्द की दाँसी.... | गुण शब्द की दाँसी.... | ||
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− | (३) | + | (३) गण सुमरे कारज करे, |
लावे लखं आऊ माथ | लावे लखं आऊ माथ | ||
भक्ति मन आरज करे, | भक्ति मन आरज करे, | ||
राखो शब्द की लाज.... | राखो शब्द की लाज.... | ||
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(४) रीधी सीधी रे गुरु संगम, | (४) रीधी सीधी रे गुरु संगम, | ||
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चार मुल जिनके पास में, | चार मुल जिनके पास में, | ||
हारे राखो चरण आधार... | हारे राखो चरण आधार... | ||
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17:31, 18 अप्रैल 2013 का अवतरण
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विघण हरण गणराज है, शंकर सुत देवाँ कोट विघन टल जाएगाँ, हारे गणपति गुण गायाँ.. विघण हरण...
(१) शीव की गादी सुनरियाँ,
ब्रम्हा ने बणायाँ हरि हिरदें में तुम लावियाँ, सरस्वति गुण गायाँ... विघण हरण.......
(२) संकट मोचन घर दयाल है,
खुद करु रे बँड़ाई नवंमी भक्ति हो प्रभु देत है गुण शब्द की दाँसी.... विघण हरण.......
(३) गण सुमरे कारज करे,
लावे लखं आऊ माथ भक्ति मन आरज करे, राखो शब्द की लाज.... विघण हरण.....
(४) रीधी सीधी रे गुरु संगम,
चरणो की दासी चार मुल जिनके पास में, हारे राखो चरण आधार... विघण हरण....