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"जीने की तमन्ना लिए मर जाऊँ तो क्या हो / गोविन्द गु्लशन" के अवतरणों में अंतर
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('ग़ज़ल जीने की तमन्ना लिए मर जाऊँ तो क्या हो गहरे कि...' के साथ नया पन्ना बनाया) |
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जीने की तमन्ना लिए मर जाऊँ तो क्या हो | जीने की तमन्ना लिए मर जाऊँ तो क्या हो | ||
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गहरे किसी दरिया में उतर जाऊँ तो क्या हो | गहरे किसी दरिया में उतर जाऊँ तो क्या हो | ||
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आईना है बेकार,ये साबित हो तो कैसे | आईना है बेकार,ये साबित हो तो कैसे | ||
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देखूँ तेरी आँखों में सँवर जाऊँ तो क्या हो | देखूँ तेरी आँखों में सँवर जाऊँ तो क्या हो | ||
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मंज़िल की तलब दिल में है लेकिन है थकन भी | मंज़िल की तलब दिल में है लेकिन है थकन भी | ||
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ऐसे में कहीं अब जो ठहर जाऊँ तो क्या हो | ऐसे में कहीं अब जो ठहर जाऊँ तो क्या हो | ||
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इक तू ही नज़र आए है देखूँ में जिधर भी | इक तू ही नज़र आए है देखूँ में जिधर भी | ||
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मैं तेरी तरह तुझमें बिखर जाऊँ तो क्या हो | मैं तेरी तरह तुझमें बिखर जाऊँ तो क्या हो | ||
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ख्वाहिश है मेरी तू भी नज़र आए परेशाँ | ख्वाहिश है मेरी तू भी नज़र आए परेशाँ | ||
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देखूँ न तुझे यूँ ही गुज़र जाऊँ तो क्या हो | देखूँ न तुझे यूँ ही गुज़र जाऊँ तो क्या हो | ||
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घर में जिसे जो चाहिए फ़हरिस्त में है सब | घर में जिसे जो चाहिए फ़हरिस्त में है सब | ||
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ख़ाली ही अगर लौट के घर जाऊँ तो क्या हो | ख़ाली ही अगर लौट के घर जाऊँ तो क्या हो |
18:09, 19 अप्रैल 2013 का अवतरण
ग़ज़ल
जीने की तमन्ना लिए मर जाऊँ तो क्या हो
गहरे किसी दरिया में उतर जाऊँ तो क्या हो
आईना है बेकार,ये साबित हो तो कैसे
देखूँ तेरी आँखों में सँवर जाऊँ तो क्या हो
मंज़िल की तलब दिल में है लेकिन है थकन भी
ऐसे में कहीं अब जो ठहर जाऊँ तो क्या हो
इक तू ही नज़र आए है देखूँ में जिधर भी
मैं तेरी तरह तुझमें बिखर जाऊँ तो क्या हो
ख्वाहिश है मेरी तू भी नज़र आए परेशाँ
देखूँ न तुझे यूँ ही गुज़र जाऊँ तो क्या हो
घर में जिसे जो चाहिए फ़हरिस्त में है सब
ख़ाली ही अगर लौट के घर जाऊँ तो क्या हो