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"इधर उधर की न बातों में तुम घुमाओ मुझे / गोविन्द गुलशन" के अवतरणों में अंतर
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(नया पृष्ठ: ग़ज़ल इधर उधर की न बातों में तुम घुमाओ मुझे मैं सब समझता हूँ पागल …) |
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इधर उधर की न बातों में तुम घुमाओ मुझे | इधर उधर की न बातों में तुम घुमाओ मुझे | ||
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मैं सब समझता हूँ पागल नहीं बनाओ मुझे | मैं सब समझता हूँ पागल नहीं बनाओ मुझे | ||
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बिछुड़ के जीने का बस एक रास्ता ये है | बिछुड़ के जीने का बस एक रास्ता ये है | ||
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मैं भूल जाऊँ तुम्हें तुम भी भूल जाओ मुझे | मैं भूल जाऊँ तुम्हें तुम भी भूल जाओ मुझे | ||
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तुम्हारे पास वो सिक्के नहीं जो बिक जाऊँ | तुम्हारे पास वो सिक्के नहीं जो बिक जाऊँ | ||
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मेरे ख़ुलूस की क़ीमत नहीं बताओ मुझे | मेरे ख़ुलूस की क़ीमत नहीं बताओ मुझे | ||
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भटक रहा हूँ अँधेरों की भीड़ में कब से | भटक रहा हूँ अँधेरों की भीड़ में कब से | ||
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दिया दिखाओ कि अब रौशनी में लाओ मुझे | दिया दिखाओ कि अब रौशनी में लाओ मुझे | ||
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चराग़ हूँ मैं , ज़रूरत है रौशनी की तुम्हें | चराग़ हूँ मैं , ज़रूरत है रौशनी की तुम्हें | ||
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बुझा दिया था तुम्ही ने तुम्ही जलाओ मुझे | बुझा दिया था तुम्ही ने तुम्ही जलाओ मुझे |
18:25, 19 अप्रैल 2013 का अवतरण
ग़ज़ल
इधर उधर की न बातों में तुम घुमाओ मुझे
मैं सब समझता हूँ पागल नहीं बनाओ मुझे
बिछुड़ के जीने का बस एक रास्ता ये है
मैं भूल जाऊँ तुम्हें तुम भी भूल जाओ मुझे
तुम्हारे पास वो सिक्के नहीं जो बिक जाऊँ
मेरे ख़ुलूस की क़ीमत नहीं बताओ मुझे
भटक रहा हूँ अँधेरों की भीड़ में कब से
दिया दिखाओ कि अब रौशनी में लाओ मुझे
चराग़ हूँ मैं , ज़रूरत है रौशनी की तुम्हें
बुझा दिया था तुम्ही ने तुम्ही जलाओ मुझे