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"मैं ख़ुद पे एक अजब वार करने वाला था / गोविन्द गुलशन" के अवतरणों में अंतर
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उनाहगार हूँ इंकार करने वाला था | उनाहगार हूँ इंकार करने वाला था | ||
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बचा लिया मुझे मेरे ज़मीर ने वर्ना | बचा लिया मुझे मेरे ज़मीर ने वर्ना | ||
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मैं अपनी मौत का दीदार करने वाला था | मैं अपनी मौत का दीदार करने वाला था | ||
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अदीब हूँ मैं मगर भूल ही गया क्या हूँ | अदीब हूँ मैं मगर भूल ही गया क्या हूँ | ||
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मैं अपने लहजे को तलवार करने वाला था | मैं अपने लहजे को तलवार करने वाला था | ||
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मेरे तबीब मुझे मौत क्यूँ नहीं आती | मेरे तबीब मुझे मौत क्यूँ नहीं आती | ||
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सवाल अजीब ही बीमार करनी वाला था | सवाल अजीब ही बीमार करनी वाला था | ||
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मैं बच-बचा के नज़र फेर कर चला आया | मैं बच-बचा के नज़र फेर कर चला आया | ||
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मुझे वो दिल में गिरिफ़्तार करने वाला था | मुझे वो दिल में गिरिफ़्तार करने वाला था |
18:27, 19 अप्रैल 2013 का अवतरण
ग़ज़ल
मैं ख़ुद पे एक अजब वार करने वाला था
उनाहगार हूँ इंकार करने वाला था
बचा लिया मुझे मेरे ज़मीर ने वर्ना
मैं अपनी मौत का दीदार करने वाला था
अदीब हूँ मैं मगर भूल ही गया क्या हूँ
मैं अपने लहजे को तलवार करने वाला था
मेरे तबीब मुझे मौत क्यूँ नहीं आती
सवाल अजीब ही बीमार करनी वाला था
मैं बच-बचा के नज़र फेर कर चला आया
मुझे वो दिल में गिरिफ़्तार करने वाला था