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"ज़िन्दगी में जो ग़म नहीं होता / नीरज गोस्वामी" के अवतरणों में अंतर

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06:42, 1 मई 2013 के समय का अवतरण

ज़िन्दगी में जो ग़म नहीं होता
नाम रब का अहम नहीं होता

तुझ में बस तू बचा है मुझमें मैं
अब के रिश्तों में हम नहीं होता

क़त्ल अब खेल बन गया क्यूँ की
सर सज़ा में कलम नहीं होता

दोस्ती हो के दुश्मनी इसमें
यार कोई नियम नहीं होता

रोटियों के सिवा ग़रीबों का
और कुछ भी इरम नहीं होता
इरम : स्वर्ग

आप मुड़ कर न देखते तो हमें
प्यार है, ये भरम नहीं होता

चीखता है वही सदा " नीरज"
जिसकी बातों में दम नहीं होता