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"हमारे बस का नहीं है मौला ये रोज़े महशर हिसाब देना / ‘अना’ क़ासमी" के अवतरणों में अंतर

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15:33, 7 मई 2013 के समय का अवतरण

हमारे बस का नहीं है मौला ये रोज़े महशर हिसाब देना
तिरा मुसलसल सवाल करना मेरा मुसलसल जवाब देना

क्लास में भी हैं जलने बाले बहुत से अपनी मुहब्बतों के
मिरे ख़तों को निकाल लेना अगर किसी को किताब देना

ये हुस्न वालों का खेल है या मज़ाक़ समझा है अ़ाशिक़ी को
कभी इशारों में डाँट देना कभी बुलाकर गुलाब देना

ये कैसी हाँ हूँ लगा रखी है सुनो अब अपना ये फोन रख दो
तुम्हें गवारा अगर नहीं है ज़बाँ हिला कर जवाब देना

बहक गया गर तो फिर न कहना ख़ता हमारी नहीं है कोई
तुम्हें ये बोला था बन्द कर दो नज़र को अपनी शराब देना