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"काहे करत सखी बात मोहन की / शिवदीन राम जोशी" के अवतरणों में अंतर

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काहे करत सखी बात मोहन की |
 
काहे करत सखी बात मोहन की |
 
बिछुर गए  हमसे कर प्रीति, जानि न  प्रीतम  मन  की |  
 
बिछुर गए  हमसे कर प्रीति, जानि न  प्रीतम  मन  की |  
ब्रज सुनों कीनो  हरि  देखो,  निठुर  भये  प्रभु  सनकी || काहे ..
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ब्रज सूनों कीनो  हरि  देखो,  निठुर  भये  प्रभु  सनकी || काहे ..
 
बिडरी -बिडरी फिरत कृष्ण बिन, सुधि नाहीं कछु तन की |
 
बिडरी -बिडरी फिरत कृष्ण बिन, सुधि नाहीं कछु तन की |
 
गुवाल बाल सब  ताहि  पुकारे, याद  करत  हैं  बन  की || काहे..
 
गुवाल बाल सब  ताहि  पुकारे, याद  करत  हैं  बन  की || काहे..
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हमसे प्रीत कृष्ण क्यों करि हैं, वहां  कामिनी गोरे  तन की ||काहे..
 
हमसे प्रीत कृष्ण क्यों करि हैं, वहां  कामिनी गोरे  तन की ||काहे..
 
शिवदीन राम, कृष्ण कब मिलिहैं, सुधि भूले निज जन की |
 
शिवदीन राम, कृष्ण कब मिलिहैं, सुधि भूले निज जन की |
हाथ  पाकर प्रभु    पार  उतारो,  पीर  हरो गोपीन  की ||काहे..     
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हाथ  पकर प्रभु    पार  उतारो,  पीर  हरो गोपीन  की ||काहे..     
 
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07:06, 10 मई 2013 के समय का अवतरण

काहे करत सखी बात मोहन की |
बिछुर गए हमसे कर प्रीति, जानि न प्रीतम मन की |
ब्रज सूनों कीनो हरि देखो, निठुर भये प्रभु सनकी || काहे ..
बिडरी -बिडरी फिरत कृष्ण बिन, सुधि नाहीं कछु तन की |
गुवाल बाल सब ताहि पुकारे, याद करत हैं बन की || काहे..
मथुरा में सबसे जा कहती, होय जो बात कहन की |
हमसे प्रीत कृष्ण क्यों करि हैं, वहां कामिनी गोरे तन की ||काहे..
शिवदीन राम, कृष्ण कब मिलिहैं, सुधि भूले निज जन की |
हाथ पकर प्रभु पार उतारो, पीर हरो गोपीन की ||काहे..