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"उसको नम्बर देके मेरी और उलझन बढ़ गई / ‘अना’ क़ासमी" के अवतरणों में अंतर
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16:54, 12 मई 2013 के समय का अवतरण
उसको नम्बर देके मेरी और उलझन बढ़ गई
फोन की घंटी बजी और दिल की धड़कन बढ़ गई
इस तरफ़ भी शायरी में कुछ वज़न सा आ गया
उस तरफ़ भी चूड़ियों की और खन खन बढ़ गई
हम ग़रीबों के घरों की वुसअतें मत पूछिए
गिर गई दीवार जितनी उतनी आँगन बढ़ गई
मशवरा औरों से लेना इश्क़ में मंहगा पड़ा
चाहतें क्या ख़ाक बढ़तीं और अनबन बढ़ गई
आप तो नाज़ुक इशारे करके बस चलते बने
दिल के शोलों पर इधर तो और छन छन बढ़ गई