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"आधार / नीरज दइया" के अवतरणों में अंतर

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06:03, 16 मई 2013 के समय का अवतरण

क्या आपने
कभी किसी पेड़ को देखते हुए
सोचा है जड़ के बारे में ?

मुझे देखते हुए
सोचते हैं कुछ मित्र.....
मेरे कवि पिता के बारे में

कभी सोचाना -
मेरे पुत्र के विषय में
जिसे मैं
बिना कविता के पसंद हूं

प्रेम पालता है देह को
कविता चेतना को!
मैं यहां लिख रहा हूं
यह समय का सत्य है
....शेष रहेगी कविता