भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

"समय का सत्य / नीरज दइया" के अवतरणों में अंतर

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज
('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=नीरज दइया |संग्रह= उचटी हुई नींद / ...' के साथ नया पन्ना बनाया)
 
(कोई अंतर नहीं)

06:15, 16 मई 2013 के समय का अवतरण

कभी कुछ लिखा
कभी कुछ लिखा
जो भी लिखा
समय का सत्य था
मैं था वहां
तुम थी वहां।

आज वह लिखा
है वहीं का वहीं
मैं नहीं वहां
तुम नहीं वहां।
समय का सत्य
बचा है स्मृतियों में!