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"समय का सत्य / नीरज दइया" के अवतरणों में अंतर
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06:15, 16 मई 2013 के समय का अवतरण
कभी कुछ लिखा
कभी कुछ लिखा
जो भी लिखा
समय का सत्य था
मैं था वहां
तुम थी वहां।
आज वह लिखा
है वहीं का वहीं
मैं नहीं वहां
तुम नहीं वहां।
समय का सत्य
बचा है स्मृतियों में!