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"कुछ सपने और... / नीरज दइया" के अवतरणों में अंतर

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06:15, 16 मई 2013 के समय का अवतरण

घुट घुट कर मरने से बेहतर है
जीएं कुछ देर और....

भूल जाएं सब कुछ
चलें कुछ आगे और....

किसी आकाश का बनकर बादल
बरसें कुछ देर और....

आंसुओं को पोंछ कर चुनें
जिंदा कुछ सपने और....