भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

"बिना शब्दों के / नीरज दइया" के अवतरणों में अंतर

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज
 
पंक्ति 5: पंक्ति 5:
 
}}
 
}}
 
{{KKCatKavita‎}}<poem>क्या बतियाना होता है  
 
{{KKCatKavita‎}}<poem>क्या बतियाना होता है  
सिर्फ शब्दों से ?
+
सिर्फ शब्दों से?
 
शब्द कहां  
 
शब्द कहां  
 
व्यक्त कर पाते हैं-
 
व्यक्त कर पाते हैं-
सभी अभिव्यक्तियां ।
+
व्यक्त करने पर भी
 +
रह जाता है
 +
बहुत कुछ अव्यक्त....
  
 
अगर होती शक्ति शब्दों में
 
अगर होती शक्ति शब्दों में
मैं बता देता-
+
मैं लिखता-
 
हमने क्या बात की
 
हमने क्या बात की
 
बिना शब्दों के !
 
बिना शब्दों के !
 
</poem>
 
</poem>

06:26, 16 मई 2013 के समय का अवतरण

क्या बतियाना होता है
सिर्फ शब्दों से?
शब्द कहां
व्यक्त कर पाते हैं-
व्यक्त करने पर भी
रह जाता है
बहुत कुछ अव्यक्त....

अगर होती शक्ति शब्दों में
मैं लिखता-
हमने क्या बात की
बिना शब्दों के !