भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

"मैंने सहेज कर रखी है / नीरज दइया" के अवतरणों में अंतर

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज
 
पंक्ति 2: पंक्ति 2:
 
{{KKRachna
 
{{KKRachna
 
|रचनाकार=नीरज दइया  
 
|रचनाकार=नीरज दइया  
|संग्रह=
+
|संग्रह=उचटी हुई नींद / नीरज दइया
 
}}
 
}}
 
{{KKCatKavita‎}}
 
{{KKCatKavita‎}}
<Poem>
+
<Poem>तुम्हारी स्मृति 
तुम्हारी स्मृति
+
अभी तक नहीं भूली 
अभी तक नहीं भूली
+
 
मुझ तक पहुंचने के रास्ते
 
मुझ तक पहुंचने के रास्ते
  
 
मैंने सहेज कर रखी है
 
मैंने सहेज कर रखी है
 
तुम्हारी स्मृति
 
तुम्हारी स्मृति
अपने सपनों के संग !
+
अपने सपनों के संग !
  
 
सीमाएं सदैव बदली
 
सीमाएं सदैव बदली
पंक्ति 19: पंक्ति 18:
 
नहीं बदली, मेरे लिए-
 
नहीं बदली, मेरे लिए-
 
तुम्हारी छवि
 
तुम्हारी छवि
यदि बदल जाती
+
यदि बदल जाती 
 
तो भूल जाती स्मृति-
 
तो भूल जाती स्मृति-
मुझ तक पहुंचने के रास्ते ।
+
मुझ तक पहुंचने के रास्ते ।</poem>
 
+
 
+
</poem>
+

06:28, 16 मई 2013 के समय का अवतरण

तुम्हारी स्मृति 
अभी तक नहीं भूली 
मुझ तक पहुंचने के रास्ते

मैंने सहेज कर रखी है
तुम्हारी स्मृति
अपने सपनों के संग !

सीमाएं सदैव बदली
और कुछ बदले हम भी
पर इस बदलाव में
नहीं बदली, मेरे लिए-
तुम्हारी छवि
यदि बदल जाती 
तो भूल जाती स्मृति-
मुझ तक पहुंचने के रास्ते ।