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"तुम्हारे जाने के बाद / नीरज दइया" के अवतरणों में अंतर

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जब-जब तुम्हारी आँख से
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तुम्हारे बाद
 
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कुछ भी शेष नहीं है
 
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तुम्हारे अदृश्य आँसुओं के सिवाय ।
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तुम्हारे अदृश्य आँसुओं के सिवाय ।</poem>
 
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'''अनुवाद : स्वयं कवि द्वारा'''
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06:29, 16 मई 2013 के समय का अवतरण

जब-जब तुम्हारी आँख से
झरे हैं आँसू
उन तक
पहुँचे ही हैं हमेशा
मेरी स्मृति के अदृश्य हाथ ।

तुम्हें उन का स्पर्श
हो या न हो
पर मैंने सदैव उठाया है
तुम्हारे आँसुओं का भार ।

तुम्हारे इंतज़ार में
तुम्हारे बाद
कुछ भी शेष नहीं है
तुम्हारे अदृश्य आँसुओं के सिवाय ।