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"गीत-2 / नीरज दइया" के अवतरणों में अंतर
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जो बात
आज तक कही नहीं
किसी संकोच के रहते
रहा होगा कहीं कोई डर,
बात वही
कह रही हो आज तुम
दोस्तों के बीच
गुनगुनाते हुए गीत।
बात यही
बहुत पहले
सुन चुका मैं।
अब भी डरता हूं मैं
मैंने कभी प्रेम-गीत गाया नहीं।